अकस्मात् ही हुआ होगा
कभी दबे पैर आया होगा
ईर्ष्या-द्वेष
घृणा-बैर आदि के साथ
जीवन में राग
फिर न पूछिए !
क्या हुआ ...................
कुछ भी नहीं बचा
बेदाग ।
अकस्मात् ही हुआ होगा
कभी दबे पैर आया होगा
ईर्ष्या-द्वेष
घृणा-बैर आदि के साथ
जीवन में राग
फिर न पूछिए !
क्या हुआ ...................
कुछ भी नहीं बचा
बेदाग ।