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राजगीर / उपेन्द्र कुमार

राजगृह में थे
गर्म जल के सोते
घने जंगल, पत्थर और पहाड़

राजगृह में अक्सर/आते थे युद्ध
देते थे प्रवचन
ठहरते थे/कई-कई दिन

अभी भी हैं
बचे-बचे कुछ/जंगल, पहाड़
सोते गर्म पानी के

आते हैं चर्म-रोगी और
बौद्ध पर्यटक/बनवाते है
चौड़ी सड़कें
भव्य शान्ति-स्तूप
देखने आते हैं/और पर्यटक

नहीं आता इतिहास/अब यहाँ

छू नहीं पाता/पत्थरों को
कोई प्रवचन