Last modified on 6 जुलाई 2010, at 03:27

राजधानी में / ओम पुरोहित ‘कागद’

वह
आया था गांव से
देश की राजधानी में
मुंह अंधेरी भोर में
ताजा छपे अखबार सा
अंग-अंग पर
सुकाल से
अकाल तक के
तमाम समाचार लिए
पड़ा है आज भी
ज्यों पड़ा हो
हिन्दी अखबार
केरल के किसी देहात में ।