Last modified on 10 जून 2010, at 01:08

राजधानी में बैल 2 / उदय प्रकाश

एक सफ़ेद बादल
उतर आया है नीचे
सड़क पर

अपने सींग पर टाँगे हुए आकाश
पृथ्वी को अपने खुरों के नीचे दबाए अपने वजन भर
आँधी में उड़ जाने से उसे बचाते हुए

बौछारें उसके सींगों को छूने के लिए
दौड़ती हैं एक के बाद एक
हवा में लहरें बनाती हुईं

मेरा छाता
धरती को पानी में घुल जाने से
बचाने के लिए हवा में फड़फड़ाता है

बैल को मैं अपने छाते के नीचे ले आना चाहता हूँ
आकाश , पृथ्वी और उसे भीगने से बचाने के लिए

लेकिन शायद
कुछ छोटा है यह छाता ।