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राजन! राम-लषन जो दीजै / तुलसीदास

राग नट

राजन! राम-लषन जो दीजै |
जस रावरो, लाभ ढोटनिहूँ, मुनि सनाथ सब कीजै ||
डरपत हौ साँचे सनेह-बस सुत-प्रभाव बिनु जाने |
बूझिय बामदेव अरु कुलगुरु, तुम पुनि परम सयाने ||
रिपु रन दलि, मख राखि, कुसल अति अलप दिननि घर ऐहैं |
तुलसिदास रघुबंसतिलककी कबिकुल कीरति गैहैं ||