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राजपत्रित अधिकारी / राजेन्द्र उपाध्याय

कितने ही लोगों को मैंने दिए
चरित्र प्रमाण पत्र
बगैर उनके चेहरे देखे

अपराधियों को भी बताया सच्‍चरित्र
जिसे कभी नहीं देखा
उसके बारे में लिखकर दिया
बरसों से जानता हूँ और मुहर लगा दी।

कितने ही लोगों को मैं जानता था दु: श्‍चरित्र है
पर लिखा सच्‍चरित्र है
जिनका कुलगोत्र कुछ पता नहीं था
उनको दिया जाति प्रमाण पत्र
मृत्‍यु प्रमाण पत्र अभिप्रमाणित किया उसका
जो अभी कल तक जीवित था।

उसकी विधवा लेती रही पेंशन माह दर माह
अपने यार के साथ मोटरसाईकिल पर बैठकर
आती थी वह दफ्तर।