Last modified on 1 नवम्बर 2009, at 21:10

राजमार्ग पर / अजित कुमार

रात बीते जब ध्वनियाँ सब
एक-एक करके सब
शान्त हुई ।
राजमार्ग पर केश छितराए
घाड़ें मार-मार
कौन ?
वह कौन ?
अब विलाप करने लगा ।