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राजस्थानी भाषा / कन्हैया लाल सेठिया

पड़गी सिझ्यां
जगा दै
सूतै दिवलै नै,
फाटगी भाक
निंदा दै
जागतै दिवलै नै,
कोनी कवै
बाळणै
बुझ्ााणै री बात
राजस्थानी भाषा
संवेदणा साख्यात !