राजा थारे कुबजाही मन मानी। म्हांसु आ बोलना॥ध्रु०॥
रसकोबी हरि छेला हारियो बनसीवाला जादु लाया।
भुलगई सुद सारी॥१॥
तुम उधो हरिसो जाय कैहीयो। कछु नही चूक हमारी॥२॥
मिराके प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल उरधारी॥३॥
राजा थारे कुबजाही मन मानी। म्हांसु आ बोलना॥ध्रु०॥
रसकोबी हरि छेला हारियो बनसीवाला जादु लाया।
भुलगई सुद सारी॥१॥
तुम उधो हरिसो जाय कैहीयो। कछु नही चूक हमारी॥२॥
मिराके प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल उरधारी॥३॥