1.
मैं मींच कर आँखें
कि जैसे क्षितिज
तुमको खोजता हूँ।
2.
ओ हमारे साँस के सूर्य!
साँस की गंगा
अनवरत बह रही है।
तुम कहाँ डूबे हुए हो?
1.
मैं मींच कर आँखें
कि जैसे क्षितिज
तुमको खोजता हूँ।
2.
ओ हमारे साँस के सूर्य!
साँस की गंगा
अनवरत बह रही है।
तुम कहाँ डूबे हुए हो?