Last modified on 26 अक्टूबर 2013, at 13:09

रात की आह / हरकीरत हकीर

जब सूरज डूबता
रात तारों को ओढ़ कर
उसके घर की ओर चल देती
उसकी आँखों में
सच्चाई देख …
श्मशान में दीया जलता
ज़िन्दगी धीमे से
आह भरती …
रात कांपते हाथों में
गुलाब पकड़े
कब्र में छुप जाती ….