जैसे उतरने में एक पाँव पड़ा हो ऎसे
मानो वहाँ होगी एक सीढ़ी और
पर जो न थी
ऎसे ही हाथ पीठ पर पड़ते लगा उसे
और ऎसे ही सुबह हुई
हाथ पीठ पर रक्खे-रक्खे ।
जैसे उतरने में एक पाँव पड़ा हो ऎसे
मानो वहाँ होगी एक सीढ़ी और
पर जो न थी
ऎसे ही हाथ पीठ पर पड़ते लगा उसे
और ऎसे ही सुबह हुई
हाथ पीठ पर रक्खे-रक्खे ।