रात की रानी
चंद्रलोक से आ
मदरास में
चाँदनी-चाँदनी हुई
पूरे जिस्म से मुसकुराई
जमीन में जादू
और सागर में
जादू हुआ
गगन की रंभा जीवन में
जी भर नाची
सागर ने लहराई लहरों से
मंद मधुर मृदंग बजाया
महानगर ने
सौन्दर्य का महोत्सव
पूर्णमासी में मनाया
रचनाकाल: ०८-११-१९७६, मद्रास