रात ढल रही है
नाव चल रही है
बर्फ के नगर में
आग जल रही है
लोग सो रहे हैं
रुत बदल रही है
आज तो ये धरती
खूं उगल रही है
ख्वाहिशों की डाली
हाथ मल रही है
जाहिलों की खेती
फूल फल रही है।
रात ढल रही है
नाव चल रही है
बर्फ के नगर में
आग जल रही है
लोग सो रहे हैं
रुत बदल रही है
आज तो ये धरती
खूं उगल रही है
ख्वाहिशों की डाली
हाथ मल रही है
जाहिलों की खेती
फूल फल रही है।