पड़ग्यो
सूरज री
धधकती भट्टी में स्यूं
एक अधबळ्यो कोयलो
हुग्यो अंधेरो,
नाख दियो
उठा‘र
बगत रै चींपटै स्यूं
गिगनार
पाछों भट्टी में
हुग्यो सबेरो !
पड़ग्यो
सूरज री
धधकती भट्टी में स्यूं
एक अधबळ्यो कोयलो
हुग्यो अंधेरो,
नाख दियो
उठा‘र
बगत रै चींपटै स्यूं
गिगनार
पाछों भट्टी में
हुग्यो सबेरो !