गड़गड़ाते हुए
बादल
पेड़ तक, घर तक ।
हवा को भेजते
दर-दर ।
इधर, इस ओर
बिस्तर तक
जगा है--
चौंक कर ।
यह एक
बिजली-कौंध,
भीतर तक
उतर कर,
कहाँ जाने गई ।
ऊपर गड़गड़ाहट
गड़गड़ाहट
और कितनी !
तनी
साँसें
सुन रही हैं वृष्टि
अब भरपूर ।
गड़गड़ाते हुए
बादल
पेड़ तक, घर तक ।
हवा को भेजते
दर-दर ।
इधर, इस ओर
बिस्तर तक
जगा है--
चौंक कर ।
यह एक
बिजली-कौंध,
भीतर तक
उतर कर,
कहाँ जाने गई ।
ऊपर गड़गड़ाहट
गड़गड़ाहट
और कितनी !
तनी
साँसें
सुन रही हैं वृष्टि
अब भरपूर ।