राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको॥ध्रु०॥
ब्रिंदाबनमें तुलसीको वडलो जाको पानचरीको॥ रा०॥१॥
ब्रिंदावनमें धेनु बहोत है भोजन दूध दहींको॥ रा०॥२॥
ब्रिंदावनमें रास रची है दरशन कृष्णजीको॥ रा०॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर हरिबिना सब रंग फिको॥ रा०॥४॥
राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको॥ध्रु०॥
ब्रिंदाबनमें तुलसीको वडलो जाको पानचरीको॥ रा०॥१॥
ब्रिंदावनमें धेनु बहोत है भोजन दूध दहींको॥ रा०॥२॥
ब्रिंदावनमें रास रची है दरशन कृष्णजीको॥ रा०॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर हरिबिना सब रंग फिको॥ रा०॥४॥