बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
राधा अलबेली को आनन।
तकै नन्द को कानन।
राखैं रहत चकोर चित्त में।
ज्यों चन्दा की मानन।
हँसी करन रस-बस करवे खाँ,
मानौ रस की खानन।
भारत सौ पारत हेरन में,
पारथ कैसे बानन।
ईसुर कात श्याम नई छाँड़त,
जब से लागे जानन।