हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
राधा चली गई मेले
स्याम जी रह गए अकेले
इस मेले में के के बिकत है
नींबू नुरंगी केले
स्याम जी रह गये अकेले
तात्ता सा पाणी साबण की टिकिआ
न्हा कै नुहा कै चले गए
स्याम जी रह गए अकेले
राधा चली गई मेले
स्याम जी रह गए अकेले
तात्ती सी पूरी अर गुलदाणा
खा कै खिला कै चले गए
स्याम जी रह गए अकेले
राधा चली गई मेले
दमड़ी के तीन पान बीड़ा लगाया
चाव कै चबा कै चले गए
स्याम जी रह गए अकेले
सीसै की बोतल मीनैं का प्याला
पी के पिला के चले गए
स्याम जी रह गए अकेले
राधा चली गई मेले
फूलों की सेज मोती झालर के तकिए
सो कै सुला कै चले गए
स्याम जी रह गए अकेले
इस मेले में के के बिकत है
नींबू नुरंगी केले
स्याम जी रह गए अकेले