पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
राधा तोरा घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।
तोरी जांघ जबरदस्त, हमराबईल बँधेंगे।।
तोरी नागझिरी का पानी
हमरा बईल पियेंगे।।
तोरा फाटक पऽ दूध
हमरा बईल चरेंगे।।
समधन तोराऽ घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।।
राधा तोरा घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।
तोरी जांघ जबरदस्त, हमराबईल बँधेंगे।।
तोरी नागझिरी का पानी
हमरा बईल पियेंगे।।
तोरा फाटक पऽ दूध
हमरा बईल चरेंगे।।
समधन तोराऽ घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।।