मैंने तुम्हें रानी कहा है ।
कई तुमसे लम्बी हैं, कहीं लम्बी ।
कई तुमसे पाक हैं, कहीं पाक ।
कई तुमसे प्यारी हैं, अधिक प्यारी ।
लेकिन तुम रानी हो ।
जब तुम सड़कों से गुज़रती हो
कोई तुम्हें पहचानता नहीं ।
किसी को तुम्हारा उज्ज्वल मुकुट नहीं दिखता, कोई नहीं देखता
तुम्हारे पैरों के तले लाल गलीचा
जिस पर क़दम रखते हुए तुम आगे बढ़ती हो,
वह गलीचा जो है ही नहीं ।
और जब तुम आती हो
नदियों की कलकल
मेरे जिस्म में बज उठती है
घण्टियाँ आसमान में,
एक गीत छा जाता है सारी दुनिया में ।
सिर्फ़ तुम और मैं,
सिर्फ़ तुम और मैं, मेरी जान !
हम उसे सुनते हैं ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य