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रामजानकी विवाह / राघव शुक्ल

हाथों में है दीप मृत्तिका,नैन सिया के विनय पत्रिका

इनकी चितवन इंद्रधनुष सी
जैसे धूप छुपी बादल में
जब पलकें झुकती लगता है
फूल गिरा हो गंगाजल में
इन नैनों के दर्शन पाने ,राघव पहुंचे पुष्प वाटिका

गुरु आज्ञा पाकर रघुवर ने
जनकपुरी में धनुष उठाया
प्रत्यंचा जब खींच चढ़ाई
जनक सुनैना मन हरषाया
परिणय बंधन राम सिया का,रामायण की बनी भूमिका

लखन लाल के साथ उर्मिला
और भरत के साथ मांडवी
हैं श्रुतिकीर्ति शत्रुघन शोभित
ज्यों हो पावन धार जाह्नवी
हुई चौगुनी दीप्ति अवध की,जगमग जगमग जली दीपिका