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रामधुन / सुरेश विमल

1.
आँधी में उड़ते हुए
सूखे पत्ते सा...
रामधुन का जीवन है
एक बार भी
धुले बग़ैर
घिस जाने वाले
लत्ते सा...

2.
रामधुन के गाँव में
बाढ़ आती है
रामधुन के गाँव में
सूखा पड़ता है
रामधुन सब
चुपचाप सहता है...
किसी को
क्या पड़ी है आख़िर
कि पूछे आकर
रामधुन किस हाल में
रहता है?

3.
रामधुन के
पुरखों का अतीत ही
रामधुन का
वर्तमान है...
रामधुन जानता है
कि आने वाली
पीढ़ियों के लिए भी
नियति का
यही विधान है।

4.
राम का भक्त है
पर रामायण
बांच नहीं सकता
रामधुन...
कैसा निरीह लगता है
चौपाइयाँ अलापते
पुजारी बाबा को
हसरत से तकता
रामधुन...!