रामनाम की गोलियां
(कविता व्यंग्य अंश)
(धार्मिक ढकोसलों पर व्यंग्य का उदाहरण)
जीवन भर फांस ग्राहकों को
अब बैठे हरि की पैढी पर
बूढे लाला भगवानदीन
मछलियां चुगाते खुश हो कर
मुंह में तुलसी की चौपाई
आंखों में स्वर्ग लोक के सुख
हाथ में गोलियां आटे की
हैं वही खुली दिल के सम्मुख