1.
मेरी चीख़ की धार से धरती दो टुकड़ों में बँट गई,
धरती के मेरे टुकड़े पर
तुम्हारे लिए कोई जगह नही है, रामसिंह ।
2.
शुक्र है, रामसिंह
तुम मेरे पड़ोस में नहीं रहते
जहाँ सौंपती हूँ मैं अपने विश्वास की चाबी ।
1.
मेरी चीख़ की धार से धरती दो टुकड़ों में बँट गई,
धरती के मेरे टुकड़े पर
तुम्हारे लिए कोई जगह नही है, रामसिंह ।
2.
शुक्र है, रामसिंह
तुम मेरे पड़ोस में नहीं रहते
जहाँ सौंपती हूँ मैं अपने विश्वास की चाबी ।