राम-नाम-महिमा-7
(103)
राजमरालके बालक पेलि कै पालत-लालत खूसरको।
सुचि सुंदर सालि सकेलि , सो बारि कै, बीजु बटोरत ऊसर को।।
गुन-ग्यान-गुमानु, भँभेरि बड़ी, कलपद्रृम्मु काटत मूसरको।।
कलिकाल बिचारू अचारू हरो, नहिं सुझै कछू धमधूसरको।।
(104)
कीबै कहा , पढ़िबेको कहा फलु, बूझि न बेदको भेदु बिचारैं।
स्वारथको परमारथको कलि कामद रामको नामु बिसारैं। ।
बाद-बिबादु बढ़ाइ कै छाती पराई औ आपनी जारैं।
चारिहुको, छहुको, नवको, दस-आठको पाठु कुकाठु ज्यों फारैं।।