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राम बिना अवधपुरी / कालीकान्त झा ‘बूच’

विलपि रहल वन उपवन भवन निःपरान गय,
राम बिना अवधपुरी लागय मसान गय...

पतनी चुड़ैल भेलि पति परेत सन सूझै,
बेटा वैताल माय जोगिनी वनलि बूझै
कोयलि कुलवधू आइ डाकिनी समान गय,
राम बिना...

शैल युता काली आ शंकर भैरव बनला,
तांडव नर्तकक लेल, सोझे सरयू फनला,
डमडम डमरू त्रिशूल चमकय असमान गय
राम बिना...

धऽर धऽर मे विलाप द्वारि - द्वारि हहाकार,
बूढ़क की बात हाय नेनो तजलक अहार,
अप्पन ने ककरो क्यो सभक सऽभ आन गय ।
राम बिना...

शीतल अछि आगि पानि अदहन भऽ उधिएलै,
काॅट भेल कोमल आ फूले गड़ि - गड़ि गेलै,
झडकावै चानिनियाँ जड़ि रहलै चान गय
राम बिना...