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राम भरोसै / कन्हैया लाल सेठिया

तेवड़ लियो
अणसमतो काम
बैठो हूं अबै
राम भरोसै
जकां तांई ली’ अबसाई मोल
बै ही मनै कासै
मैं जकां तांई जीऊं
बै ही मिणियों मोसै
पण छेकड़ पळटसी बगत
सूधरसी गत
नहीं’स सो क्यूं
राम भरोसै !