Last modified on 22 मई 2014, at 12:20

राम सुमिर, राम सुमिर / नानकदेव

राम सुमिर, राम सुमिर, एही तेरो काज है॥

मायाकौ संग त्याग, हरिजूकी सरन लाग।
जगत सुख मान मिथ्या, झूठौ सब साज है॥१॥

सुपने ज्यों धन पिछान, काहे पर करत मान।
बारूकी भीत तैसें, बसुधाकौ राज है॥२॥

नानक जन कहत बात, बिनसि जैहै तेरो गात।
छिन छिन करि गयौ काल्ह तैसे जात आज है॥३॥