पाप!
इतना बड़ा पाप!
रामसेवक, यह तुमने क्या किया
तुम तो दिन-रात जपते राम' राम
कण-कण में बसते
सब में ब्यापते तुम्हारे राम
और तुम राम सेवक
राम का सेवक, कितना पावन नाम
पर इतना अधम काम
हत्यारे, तुम्हें नरक में भी नहीं मिलेगी जगह!
राम सेवक कल तक सबका चहेता
आज हत्यारा बन गया था
जो अपने थे
उनकी आंखें भी तनी थी
वहाँ गुस्सा तैर रहा था
मन करता बढ़ कर मरोड़ दे गर्दन
पता तो चले
तड़प तड़प कर मरना क्या होता है
चिडि़याघर में भीड़ थी, शोर था
उठती, गिरती, गुम होती बातें थीं
रॉकेट की तरह दगती
फिर हवा में विलीन होती उसकी चिन्गारियाँ थीं
एक कोने में गुड़मुडाए
मुड़ नवाए मुर्गा बना बैठा था राम सेवक
वह नहीं समझ पा रहा था
उसने क्या किया जो पाप हो गया
वह कह रहा था
राम! राम!
क्या कहते हैं बाबूजी
ये सब तो मेरे बच्चे...
वह किससे कहे, क्या कहे
कोई सुनने वाला तो हो
अपने दोहरे दुख में डूबा राम सेवक
बस, उसकी आंखें थीं डबडबाई
आवाज थी भर्राई
बिजली की गड़गड़ाहट में उसकी बातें
मेहराए कारतूस की तरह फुस्स...फुस्स...
रामसेवक ने स्टोर बाबू से ली थी गोदाम की चाभी
तैयार किया चारा जैसे तैयार करता था रोज
बाल्टी में भर दाना-पानी
जब वह आया बाड़े में
जैसे भूखे बालक माँ की छाती पर लपकते हैं
कुलांचे भरते वे दौड़ पड़े थे उस की ओर
यह रोज की कहानी थी
पर आज यह क्या?
घंटा भर भी नहीं बीता था
हिरण-हिरणी-शावक सब छटपटाने लगे
बिन पानी मछली की तरह वे लगे तड़पने
शरीर ऐंठ रहा था
मुंह से फेक दिया था गाज
अब चिडि़याघर के बाड़े में
इधर-उधर बिखरी उनकी लाशें थीं
किसी आतताई का शिकार बनी
खबर के सौदागरों के लिए
यह बड़ा धमाका था
वे दौड़े
वहाँ की एक-एक हरकत को
अपने कैमरे में कैद करने को
वे उतावले थे
सब कुछ सजीव था
हार्न बजाती आ गयी थीं लाल-नीली बत्तियाँ
कौन है हादसे का जिम्मेदार
क्या कर रही है सरकार?
सवालों से घिरे थे मंत्री जी
कैमरे की ओर मुखातिब होते ही
गमगीन हो गया चेहरा
उन्होंने घोषणा की-
आदमी हो या जानवर
सब के प्रति पूरी संवेदनशील है सरकार
उच्चस्तरीय कमेटी करेगी जांच
स्टोर कीपर को कर दिया गया है निलम्बित
सेवक को ले लिया गया है हिरासत में
कोई भी नहीं बख्शा जाएगा
कल तक चिडि़याघर के बाड़े में
जहाँ हिरणों का झुण्ड रहता था
उछलता, कूदता कुलाचे भरता
लोगों का मनोरंजन करता
वहाँ आज राम सेवक था
लोगों के लिए तमाशा बना
हमारे इस परम लोकतंत्र में
जो हजम कर गये जानवरों का चारा
राजधानी के पाच सितारा होटल में
देर रात तक जाम से जाम टकराती रही
लाल-नीली बत्तियों की खनखनाती रही हंसी
खबरों में उनकी ढकार कहीं नहीं थी
वहाँ राम सेवक की सिसकियाँ भी नहीं थी।