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राम स्मरण का गीत / उमाकांत मालवीय

पिछली रैन तुम्हारे खाते ।
अगली रैन तुम्हारे खाते ।

कुल बेचैनी मेरे ज़िम्मे
सारा चैन तुम्हारे खाते ।

घूँट लिए आँसू के झरने
मेरे नैन तुम्हारे खाते ।

सब कुछ जाए नसाय हमारा
रंच नसै न तुम्हाते खाते ।

हम तो हैं लक्ष्मण की मूर्छा
बैद सुखेन तुम्हारे खाते ।

तुमको राम अमृत दे सारा
ज़हर कुनैन हमारे खाते ।