Last modified on 13 सितम्बर 2018, at 19:08

राष्ट्राध्यक्ष / निशांत

एक घोड़ा था
अपने डैनों को खोले
उड़ा जा रहा था स्वपनाकश में

एक साइकिल थी
दौड़ी चली जा रही थी हवा में
ट्रिन ट्रिन की आवाज के साथ

एक मछली थी
रात को आकाश में उड़ी जा रही थी
देशों के बीच से

कुछ
अद्भुत से दिखनेवाले लोग थे
जोकरों की पोशाक में
उनके एक हाथ में पृथ्वी थी
दूसरे में एक चाबूक

रोज रात में
घोड़े को
साइकिल को
और मछली को
साँप की तरह एक बार डँसते थे वे

पृथ्वी को उछालकर
चाबूक से पिटता था मुझे किसी-किसी दिन
दिन में उनमें से कोई बौना-सा आदमी।