भरल-पूरल, फरल-फूरल हिन्दुस्तान चाहीला।
पहरे पर पहरु हिमाला, सागर गोड़तरिए लहराला,
कछ की रन गुजराती-माला, खप्पर चंडी-हाथ फँफाला।
माटी देसवे खातिर लागो बरदान चाहीला, भरल-पूरल॥
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई,हमनी एक लाद के भाई॥
एगो दुसरा के धधाई, भेंटो छतिया लगा अघाई॥
आठो भुजा उठा के जग में बलवान चाहीला, भरल-पूरल॥
राना-सिवा देश दीवाना, जोधा राव तुला हरियाना,
जंगी कुंवर सिंह मरदाना, शेखर-भगत सिंह मस्ताना।
तोरत टैक हमीदा रन में सीना ताना चाहिला, भरल-पूरल बा॥
घहरे मेघ, भंयकर लड़के उखड़े पवन भयावह भड़के,
नभ में बिजुली चमके-कड़के, छतिया सुनि मुदइन के धड़के,
संउसे देस हिलोरत नदियन में तूफान चाहिला, भरल-पूरल॥
भूले ना झाँसी के रानी, जेकर बाटे अमर कहानी।
धनि-धनि देसवा के बलिदानी, अरपित बा जेकर जिनगानी।
असफाकुल्ला, बिसमिल, खुदी-बटुक-सम्मान चाहिला, भरल-पूरल॥
आजादी जन्म सिद्ध अधिकार सुनवलन लोकमान्य ललकार,
चमकलि सुभाष के तलवार, भागलि अँग्रेजी सरकार।
गूंजत ‘अँजोर‘ के हुंकार भरल ‘जयगान‘ चाहिला, भरल-पूरल॥