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राष्ट्र-वंदना / विमल राजस्थानी

अयि मातृ-भूमि ! अयि पितृ-भूमि ! अयि जन्म-भूमि वन्दे !
अयि राष्ट्र-भूमि वन्दे !
अयि कर्मभूमि ! अयि धर्म-भूमि ! अयि अमर-भूमि वन्दे !

अयि पुण्य-भूमि वन्दे !
तेरे बालक
आज्ञापालक
धर्मवीर हैं
कर्मवीर हैं
सुधी धीर हैं
गुरू गंभीर हैं
एक प्राण बहु-
बहु शरीर हैं

अयि राम-भूमि ! अयि कृष्ण भूमि ! अयि भरत-भूमि वन्दे !
अयि बुद्ध-भूमि ! अयि शुद्ध-भूमि ! संबुद्ध-भूमि वन्दे !

उत्तर में उत्तुंग हिमांचल
उन्नत ग्रीवा, वज्र बाहु-बल
गंगा-यमुना का निर्मल जल
करता कल-कल, हरता कलि-मल
दक्षिण दिशि में हिन्द-सिन्धु-जल
पल-पल धोता पद-तल कोमल

प्राची में ऊषा मुस्काती
पश्चिम में संध्या इठलाती
ऊपर व्योम सहज सुन्दर है
सूर्य-चन्द्र तारों का घर है
नीचे वसुधा का हरितांचल
बिखरा-बिखरा अन्न-फूल-फल

छवि-घन सींचे
सुधा उलीचे
षट् ऋतु आये
छवि छिटकाये
जीवन छाये
यौवन गाये

छवि-छंद-भूमि ! मधु-गंध-भूमि ! मकरंद-भूमि वन्दे !
अयि वंद्य भूमि-वन्दे !

भारत जन-गण
साठ कोटि जन
वारें तन-मन
सरबस अर्पण
सहज समर्पण
रक्ताकर्षण
भव-भुज बंधन
नव आलिंगन
स्नेह सुबंधन
बाँधे कण-कण

अयि शक्ति-भूमि ! अयि भक्ति-भूमि ! अनुरक्ति-भूमि वन्दे !

तुझ पर जो भी नयन तरेरे
कटिल दृष्टि से तुझको हेरे
उसको खण्ड-खण्ड कर डालें
ये अमोघ वज्रायुध मेरे

तू गीता है
तू कुरान है
चतुष्वेद-
स्मृति, पुराण है
गाये गाथा
विश्व-वंद्य तू
अमृत-छंद तू
सुर प्रणम्य है
सृष्टि नम्य है

अयि वीर-भूमि ! रणधीर-भूमि ! अयि क्षीर-भूमि ! वन्दे !
कृष्णा, कावेरी, सिंधु पंचनद-नीरभूमि ! वन्दे !
अयि मातृ-भूमि ! अयि पितृ-भूमि ! अयि जन्म-भूमि वन्दे !
अयि राष्ट्र-भूमि वन्दे !