बढ़े चलव, बढ़े चलव, कदम कदम बढ़े चलव।
देश के निरमान बर, नवां रवन गढ़े चलव॥
जात-पांत, भेद-भाव, उंच नीच मेटाना हे।
गंगा जमुना मया के, हिरदे मा बोहाना हे ॥
एकता के पाठ ला फेर तुंमन पढ़े चल।
बढ़े चलव, बढ़े चलव, कदम कदम बढ़े चलव।
अलगाववाद, भाषावाद, मूड़ अपन उठात हे।
आतंकवाद हिंसा अऊ दहसत बगरात हे॥
भष्टाचारी रकसा के, छाती मा चढ़े चलव।
बढ़े चलव, बढ़े चलव, कदम कदम बढ़े चलव ।
भूख, गरीबी, बेकारी, पहार बनके बाढ़े हे।
महंगाई अऊ जनसइखा, डंग डंग ले बाढ़े हे॥
समाज के कुरीति सो, दम लगा लड़े चलव॥
बढ़े चलव, बढ़े चलव, कदम कदम बढ़े चलव।