सीधी चढ़ाई में
सांस तो फूलती है
अक्ल
ख़ुद को भूलती है
दीवानगी की बस्ती में
पहुंचकर ही
कुछ पाता है
अक्ल का मारा
आदमी।
सीधी चढ़ाई में
सांस तो फूलती है
अक्ल
ख़ुद को भूलती है
दीवानगी की बस्ती में
पहुंचकर ही
कुछ पाता है
अक्ल का मारा
आदमी।