डिगे भी हैं
लड़खड़ाए भी
चोटें भी खाई कितनी ही
पगडंडियां गवाह हैं
कुदलियों, गैंतियों
खुदाई मशीनों ने नहीं
कदमों ने ही बनाए हैं -
रास्ते!
डिगे भी हैं
लड़खड़ाए भी
चोटें भी खाई कितनी ही
पगडंडियां गवाह हैं
कुदलियों, गैंतियों
खुदाई मशीनों ने नहीं
कदमों ने ही बनाए हैं -
रास्ते!