कहा था तूने
चलूँगा साथ तेरे
इस छोर से
उस छोर तलक
हर रुत में
रुकूँगा न थकूँगा
संग रहूँगा
मौसम जो बदला
वादा है टूटा
कड़ी धूप में देखो
रिश्ता बदला
कल जो था अपना
आज पराया
छोड़ के गया जो तू
फिर न आया
नैना राह निहारे
भरमाए-से
सच को स्वीकारना
मन न माने
हर रिश्ते की यही
होती कहानी
दुःख मनाऊँ तो क्यों
यही तो ज़िन्दगानी ।