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रिश्ते / अरविन्द पासवान

खून के रिश्तों का
हो रहा है खून

भाव के रिश्तों में
लग रहे हैं घाव

बादल जाते हैं अक्सर

रिश्ते वैचारिक

रिश्ते प्रेम और अभाव के
रहते हैं साथ
सदा के लिए