बिना आवाज़
टूटते हैं रिश्ते
या
उखड़ जाते हैं
जैसे
धरती का सीना फाड़े
मजबूती से खड़ा
कोई दरख़्त
आंधी से हार कर
छोड़ देता है अपनी जड़े!
बिना आवाज़
टूटते हैं रिश्ते
या
उखड़ जाते हैं
जैसे
धरती का सीना फाड़े
मजबूती से खड़ा
कोई दरख़्त
आंधी से हार कर
छोड़ देता है अपनी जड़े!