सुनो!
लिखने का पूरा मामला
है फ़कत इतना
कि मैं डूबूँ
तुम्हारी यादों में
और तुम पाओ टीस
मेरी कविता के
आनंदलोक में
मेरे शब्दों के थान में
तुम छू सको
स्मृतिदंश के घावों को
और पहचान सको
मेरे काव्य की रोशनाई में
यादों की बुनावट को
अच्छा, तुम्हें याद तो होगा
अपने रिश्ते का लहू होना
तो क्या पढ़ सकती हो तुम
मेरी कविता कि रूमानियत में
अपने बेगानेपन का अनुवाद?
अग़र तुम्हारा ज़वाब हाँ है
तो एक मुस्कुराहट ही
मेरा हासिल है।