टेक चुके हैं सब अपने घुटनों को
उठा हुआ नहीं आता नज़र
अब कोई भी सिर
रेहन रख दी गईं हैं
लगभग सारी की सारी हड्डियां रीढ़ की
और इसीलिये चल रहा है
सब कुछ ठीक ठाक
वैसा ही जैसा चाहते हैं
वे
टेक चुके हैं सब अपने घुटनों को
उठा हुआ नहीं आता नज़र
अब कोई भी सिर
रेहन रख दी गईं हैं
लगभग सारी की सारी हड्डियां रीढ़ की
और इसीलिये चल रहा है
सब कुछ ठीक ठाक
वैसा ही जैसा चाहते हैं
वे