Last modified on 9 अक्टूबर 2011, at 14:55

रुथ के प्रति / भुवनेश्वर

यदि प्रसन्न पंख गिर जाएँ
और दॄष्टि आँखें मूँद ले
बाज़ दम तोड़ दे
और मकरंद की आँखों में आँसू आ जाएँ
यदि दोपहर चमकने लगे
आगामी कल के उजाले से
रातों में सन्नाटा छा जाए
मछुवारों की पतवारों से

यदि वह झूठ बोलने के लिए भी
(शोक मनाना चाहता है)
और सच बोलने के लिए मरना चाहता है
तो उसके लिए
बोलने के साथ मर जाना बेहतर है
रुथ के कान में कुछ कहने के बजाय।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश बक्षी