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रूंख अर मिनख / ॠतुप्रिया

थूं कांईं करै आज
निरजळा ग्यारस रै दिन

तीसै मिनखां नै
पाणी क्यूं नीं पावै

अठै रूंखां में
पाणी ढोळ’र
आपरी बावळ क्यंू खिंडावै

बा’ बोली-
रूंख है
तद मिनख है
अर मिनख है
तद रूंख।