Last modified on 29 नवम्बर 2013, at 00:06

रेत (10) / अश्वनी शर्मा

रेत आंधी बन
छा जाती है आसमान में
किसी अमूर्त्त चित्र
या
मनोवैज्ञानिक पहेली-सी

अर्थ तुम्हारे, भाव तुम्हारे
अनुभव तुम्हारे, छाप तुम्हारी
समझ लो जो जी चाहे
आरोपित कर दो जो जी चाहे।