दिन भर
तपती रेत
खूब रोती होगी
रात के सन्नाटे में बुक्काफाड़
तभी तो
हो लेती है
भोर में
शीतल
शांत
धीर
रेत की
अनकथ पीर।
दिन भर
तपती रेत
खूब रोती होगी
रात के सन्नाटे में बुक्काफाड़
तभी तो
हो लेती है
भोर में
शीतल
शांत
धीर
रेत की
अनकथ पीर।