हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
कुण सै महीने बोल्लै मोर पपीहा कबसी चमकै सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
सामण महीने बोल्लै मोर पपीहा फागण चमकै सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
कौण सी नणद नै काढ्या सै कसीदा कौणसी ने गोद्या सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा
छोटली नणद ने काढ्या सै कसीदा बडली नै गोद्या सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।