इन्कलाबी कई वज़ीर हुए
सब उसी जुल्फ़ के असीर हुए
दिन की ताबिश में सर्वहारा थे
रात आई तो जहाँगीर हुए
रोजे महशर क़िताब पूछेगी
सिर्फ़ बूढ़े हुए कि पीर हुए ।
इन्कलाबी कई वज़ीर हुए
सब उसी जुल्फ़ के असीर हुए
दिन की ताबिश में सर्वहारा थे
रात आई तो जहाँगीर हुए
रोजे महशर क़िताब पूछेगी
सिर्फ़ बूढ़े हुए कि पीर हुए ।