हर रोटी में बेलती है एक कविता तवे पर सेंकती है,एक आह गैस के बर्नर पर आह गिरते ही फूल जाता है दर्द उसे घी की नरमाई से छुपाने का जतन कर परोस देती है, सुख की थाली में इतनी रोटियाँ खाते-खाते पढ़ लीं तुमने कितनी ही कविताएँ.