ये रोशनदान
बहुत पुराने
हो चुके हैं
मकानों में
रहने वालों ने
मन बहलाती
आमोद-प्रमोद से भरी
हवा के झोंकों से
खड़खड़ाती
इतराती
हुई
खिड़कियाँ लगवा ली हैं
सच में
लोग बहुत सयाने
हो चुके हैं।
ये रोशनदान
बहुत पुराने
हो चुके हैं
मकानों में
रहने वालों ने
मन बहलाती
आमोद-प्रमोद से भरी
हवा के झोंकों से
खड़खड़ाती
इतराती
हुई
खिड़कियाँ लगवा ली हैं
सच में
लोग बहुत सयाने
हो चुके हैं।